Friday, 23 May 2014

भारत को सुपर पावर बनाने में मोदी का पहला दांव

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी हमेशा से लीक से अलग हटकर काम करने के लिए जाने-जाते हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए उन्होंने परंपरा से अलग हटकर सार्क देशों के राजनीतिक प्रमुखों को आमंत्रित किया है। 

मोदी के इस कदम को विश्व बिरादरी के अंदर भारत को सुपर पावर बनाने की कड़ी में पहला कदम माना जा रहा है। मोदी ने जता दिया है कि वे अब राष्ट्रीय से अन्तरराष्ट्रीय हो गए हैं। मोदी के समारोह का सभी देशों के भारत स्थित उच्चायुक्तों को बुलावा भेजा जा रहा है।

शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के प्रमुखों को बुलाने पर भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा कि वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी हमेशा कहते थे कि व्यक्ति अपना मित्र और शत्रु तो चुन सकता है या बदल सकता है लेकिन पड़ोसी नहीं बदले जाते। 

इसलिए भाजपा मोदी शासन में अटल के विदेश नीति को आगे बढ़ाएगी। यहीं नहीं पार्टी की ओर से मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए लगभग 3000 अतिथियों को बुलाने की तैयारी की है। भारत की संसद के सभी सांसदों के अलावा राज्य विधानसभा के प्रमुख चेहरों को भी बुलाया जाएगा।

मुस्लिमों में सुधरेगी छवि

दरअसल सार्क देशों के मुखियाओं को शपथ ग्रहण में बुलाकर मोदी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। विश्व बिरादरी में उनके व्यçक्त्तव को लेकर अब तक बनी धारणा को वे बदलना चाहते हैं। 

जब वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई और बांगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ खडे होकर जब फोटो खिंचवाएंगे तो अल्पसंख्यक समुदाय खासतौर से मुस्लिमों में उनकी छवि सुधरेगी।

उनके पुराने रिकार्ड के कारण मुस्लिम देशों में उनके छवि को लेकर दुविधा थी। उनकी जीत के बाद कुछ मुस्लिम देशों के बीच अंदरूनी बेचैनी भी है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन देशों का भारत के साथ कैसा संबंध रहेगा। वैसे मोदी पाकिस्तान को पहले ही नसीहत दे चुके हैं कि वह भारत के साथ अडंगेबाजी के बजाय विकास पर ध्यान दे।

रिश्तो को लेकर पाक में मंथन

उधर, पाक मीडिया की रिपोर्टो के अनुसार मोदी को बहुमत मिलने के बाद से भारत के साथ पाक के रिश्तों को लेकर मंथन जारी है। सुरक्षा से जुड़ी पाकिस्तान सरकार की एजेंसियों की बैठकों के दौर जारी हैं। 

श्रीलंका के राष्ट्रपति महेंद्र राजपक्षे को शपथ समारोह में बुलाकर मोदी ने दक्षिण भारत खासतौर से तमलिनाडु के राजनीतिक दलों को जता दिया है कि देश की विदेश नीति राज्य की जागीर नहीं बन सकती। 

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को आमंत्रण देकर मोदी ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जता दिया है कि अब देश का सरदार बदल गया है। मोदी के इस कवायद के बारे में कहा जा रहा है कि किसी देश को विश्व की शक्ति बनने से पहले उसके संबंध अपने पड़ोसियों से अच्छे होने चाहिए।

पिछली सरकार के शासन के दौरान यह साफ नजर आया कि श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश के साथ देश की विदेश नीति राज्य के दलों के हितों के आगे गिरवी थीं। न चाहते हुए भी श्रीलंका की नजदीकियां चीन की ओर बढ़ने लगी थीं। 

नेपाल के मसले पर सरकार वाम दलों के दबाव में थी वहां भी चीन का दबदबा बढ़ गया था और बांग्लादेश के साथ संबंध सुधरने से मुस्लिम देशों के बीच पाकिस्तान को कठघरे में घेरने का भारत को मौका मिलेगा।

इनकी मिली स्वीकृति
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने जिस गर्मजोशी से मोदी का स्वागत किया है वे उनके शपथ ग्रहण के अवसर पर उपस्थित रह सकते हैं। 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैय्यद अकबरूदीन ने बताया कि मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए श्रीलंका के राष्ट्रपति महेंद्रा राजपक्षे, मालद्वीव के अब्दुल्ला यामीन, नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोईराला, भूटान के प्रधानमंत्री तोबगय, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई और बांग्लादेश की स्पीकर सीरीन चौधरी की सहमति मिल चुकी है। - 

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