नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इस बार के लोकसभा चुनाव में एक भी मुसलमान उम्मीदवार नहीं जीता। ऐसा प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ है। यहां तक कि चुनाव में अन्य कोई धार्मिक अल्पसंख्यक भी चुनाव नहीं जीता। सन 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भी संयुक्त उत्तर प्रदेश की 85 सीटों पर आठ अल्पसंख्यक प्रत्याशी जीते थे।
शुक्रवार को 16 वीं लोकसभा के लिए उत्तर प्रदेश से जीते प्रत्याशियों में 73 भाजपा-अपना दल गठबंधन के हैं। ये सभी बहुसंख्यक हिंदू समुदाय से आते हैं। सर्वाधिक 71 सीटों पर जीती भाजपा ने उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदाय के किसी भी व्यक्ति को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया था। बाकी के सभी प्रमुख दलों ने अल्पसंख्यक वर्ग से प्रत्याशी उतारकर मुस्लिम मतों पर दावा किया था लेकिन उनकी रणनीति कारगर साबित नहीं हुई। इसी के चलते प्रदेश में 18 सीटों पर मुस्लिम समुदाय के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे। ये प्रत्याशी समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के थे।
सन 1977 में हुई कांग्र्रेस की जीत के समय उत्तर प्रदेश की 85 सीटों पर नौ अल्पसंख्यक प्रत्याशी जीते थे। जबकि सन 1999 की भाजपा की जीत के समय में भी आठ मुस्लिम प्रत्याशी जीते थे। इसी जीत के बाद केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी थी। बड़ी जीत वाले चुनावों में शुमार सन 1984 के लोकसभा चुनाव के समय उत्तर प्रदेश की 85 सीटों पर 12 मुस्लिम प्रत्याशी विजयी रहे थे। ये सभी अलग-अलग दलों के थे।
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