नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने 2014 के चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली है। 2009 में 206 सीटें हासिल करने वाली पार्टी महज 53 सीटों तक सिमट कर रह गई। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी मीडिया के सामने आए और उन्होंने अपनी हार स्वीकारी हालांकि इस दौरान उन्होंने किसी के सवालों का जवाब नहीं दिया। हालांकि पार्टी के नेता आरोप लगा रहे हैं कि मोदी ने हजारों करोड़ खर्च कर ये जीत हासिल की है। दूसरी ओर राहुल गांधी की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। हार के नतीजों के बीच ही कांग्रेस दफ्तर पर प्रियंका लाओ के नारे भी गूंजे।
आम चुनाव के नतीजे आते गए और कांग्रेस मुख्यालय पर सन्नाटा पसरा है। ये इतिहास में कांग्रेस की सबसे करारी हार है। देश की सबसे पुरानी पार्टी को उम्मीद नहीं थी कि उसे दस फीसदी सीटें भी हासिल नहीं होंगी। कभी कांग्रेस का गढ़ रहे यूपी में 80 सीटों में से राहुल और सोनिया ही अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। पार्टी नेताओं का मानना है कि उनसे जनादेश समझने में चूक हुई।
पार्टी के बड़े-बड़े दिग्गज धराशायी हो गए हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में सरकार के होते हुए भी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद लचर रहा। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने तो हार की जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए इस्तीफे का ऐलान भी कर दिया। मगर पार्टी के नेता अब भी इस हार के लिए गांधी परिवार को नहीं मोदी के प्रचार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सात राज्य ऐसे हैं जहां कांग्रेस अपना खाता तक न खोल सकी है पूरे देश में एक भी ऐसा राज्य ऐसा नहीं है जहां कांग्रेस को दस से ज्यादा सीटें मिली हों।

No comments:
Post a Comment
Thanks to give u valuable feedback