नई दिल्ली। भाजपा संसदीय दल के नेता के तौर पर चुने जाने के बाद भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने पहला भाषण दिया। नेता चुने जाने के बाद भाषण देते हुए नरेंद्र मोदी ने राजनाथ और आडवाणी का आभार जताया। इसके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी का उल्लेख करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि आज इस ऐतिहासिक क्षण में वो हमारे साथ होते तो सोने में सुहागा होता। मोदी ने कहा कि 13 सितंबर को उन्हें पीएम कैंडीडेट बनाया गया और 15 से उन्होंने अपना काम शुरू किया।
उन्होंने कहा, 'मैं एक कार्यकर्ता के भाव से इस दायित्व को पूरा करने में जुटा रहा। पार्टी के लिए कड़ी मेहनत करने वाले कार्यकर्ता के तौर पर मैंने कभी भी एक मिनट बर्बाद नहीं किया। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ जी ने जब फैसला किया कि मैं भाजपा के लिए प्रचार का नेतृत्व करूंगा। मैंने तुरंत ही इस पर काम शुरू कर दिया।'
मोदी ने आगे कहा, 'मैंने हमेशा ही एक कार्यकर्ता की भूमिका में जीवन निर्वाह किया है। 13 सितंबर से 10 मई तक के काम की पूरी रिपोर्ट मैंने अध्यक्ष राजनाथ जी को दी। मैंने अपने तय कार्यक्रमों में से एक को छोड़कर सभी कार्यक्रम पूरे किए। वह कार्यक्रम था घोशी का जो वहां के स्थानीय नेता के खराब स्वास्थ्य के कारण रद्द हुआ।'
लोकतंत्र की ताकत का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा, 'यह संविधान का ही सामर्थ्य है, लोकतंत्र की ताकत है कि एक गरीब का बेटा आज यहां खड़ा है। मैंने मुख्यमंत्री का चैम्बर तभी देखा था जब मैं मुख्यमंत्री बना। ठीक यही हालत आज संसद की भी है।'
उन्होंने कहा कि अगले दो साल काफी महत्वपूर्ण हैं। हम परिश्रम की पराकाष्ठा करेंगे। जब 2019 में मिलूंगा तब अपना रिपोर्ट कार्ड दूंगा।
मोदी इस दौरान भावुक भी हुए और कहा, 'जैसे देश मेरी मां है वैसे ही भाजपा भी मेरी मां है, बेटा कभी मां पर कृपा नहीं कर सकता।'
मोदी ने अपनी सरकार युवाओं व महिलाओं को समर्पित करते हुए कहा, 'मेरी सरकार गरीबों, युवाओं व महिलाओं को समर्पित है। निराशा छोड़कर आगे बढ़ने का समय है। आशावादी ही आशा का संचार कर सकता है। मैं अपने लिए नहीं देश के लिए जीउंगा।'
वरिष्ठ नेताओं के प्रति सम्मान दिखाते हुए उन्होंने कहा, 'मोदी इसलिए नहीं दिख रहा, क्योंकि मोदी बड़ा है, बल्कि इसलिए दिख रहा है, क्योंकि वरिष्ठ पार्टी नेताओं ने उन्हें कंधों पर बिठाया है। पांच-पांच पीढ़ियां खप गई हैं तब हमने आज ये मुकाम पाया है। हमें देश के लिए मर मिटने का सौभाग्य नहीं मिला।'
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