Sunday, 18 May 2014

Kejrwal vs Kiran bedi in Delhi Election

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के कुछ विधायकों ने भाजपा या कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में एक बार फिर से सरकार बनाने का सुझाव दिया. कहा जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल सहित कुछ शीर्ष नेताओं के साथ बैठक में आप के करीब 20 विधायकों ने नेतृत्व से कहा कि पार्टी को सरकार बनाने का फिर से प्रयास करना चाहिए. सूत्रों ने कहा कि पार्टी विधायक राजेश गर्ग ने फरवरी में 49 दिन में सरकार से इस्तीफा देने के अरविंद केजरीवाल के फैसले को लोकसभा चुनावों में आप के खराब प्रदर्शन की मुख्य वजह बताते हुए यह विचार रखा.

माना जा रहा है कि रोहिणी के विधायक ने कहा कि पार्टी को सरकार बनाने पर विचार करना चाहिए ताकि जनता को इस फैसले से लाभ मिले. आप के एक विधायक ने कहा, ‘‘बैठक में मौजूद आप के करीब 20 विधायकों ने इस प्रस्ताव का सकारात्मक रुप से स्वागत किया. केजरीवाल और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने विधायकों के विचार सुने लेकिन टिप्पणी नहीं की. विधायकों ने इस बारे में फैसला राजनीतिक मामलों की समिति पर छोड दिया.’’  इस बीच, आप विधायक के प्रस्ताव की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मुकेश शर्मा ने कहा, ‘‘केजरीवाल ने दिल्ली की जनता को धोखा दिया और अगर यह पार्टी फिर से सरकार बनाने का प्रयास करती है तो कांग्रेस उन्हें समर्थन देने के बारे में नहीं सोच रही है.’’ 


नयी दिल्ली:आम चुनाव 2014 में दिल्ली की सातों सीट जीतने वाली भाजपा के लिए मौजूदा दिल्ली विधानसभा में सरकार बनाना बेहद कठिन हो गया है. उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हर्षवर्धन समेत तीन विधायक लोकसभा का चुनाव जीत कर सांसद बन गये हैं. ऐसे में 70 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा का गणित 32 से घट कर 29 रह गया है.

ऐसे में समझा जा रहा है कि सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व आइपीएस अधिकारी किरण बेदी दिल्ली में भाजपा का चेहरा हो सकती हैं. इसके लिए किरण बेदी ने अपनी हामी भी भर दी है. तीन सीटें खाली होने के बाद सरकार बनाने के लिए उपचुनाव से पहले भी कम से कम 34 विधायकों की जरूरत पड़ेगी. यानी भाजपा को पांच विधायक और जुटाने होंगे. जबकि मौजूदा विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 28 और कांग्रेस के आठ विधायक हैं. ऐसे में भाजपा को अगर अन्य दो विधायकों का समर्थन मिल जाता है, तो भी पार्टी बहुमत के आंकड़े का जुगाड़ नहीं कर पायेगी. ऐसे में भाजपा की उम्मीद आम आदमी पार्टी में संभावित टूट पर है. अगर ऐसा नहीं होता है, तो पार्टी नये सिरे से विधानसभा चुनाव कराने पर जोर देगी, क्योंकि ताजा मोदी लहर में उसे आसानी से बहुमत मिलता दिख रहा है.

लेकिन ऐसी परिस्थिति में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा, यह तय करना बीजेपी के लिए आसान नहीं है. अगर हर्षवर्धन को फिर से लाया जाता है, तो बीजेपी को चांदनी चौक लोकसभा सीट से उपचुनाव के लिए एक नया चेहरा ढूंढ़ना होगा, जो कांग्रेस और ‘आप’ को हराने की क्षमता रखता हो. अगर हर्षवर्धन को केंद्र की सरकार में जिम्मेदारी दी जाती है, तो किरण बेदी को फिर से भाजपा से जोड़ने की कवायद हो सकती है. खुद बेदी चुनाव नतीजों और मोदी लहर को देखते हुए ऐसे किसी प्रस्ताव को खारिज करने के बजाय सोचने के लिए तैयार होने का बयान दिया है.

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