
भारत में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने आज मीडिया से बातचीत में कहा की दोनों देश शीघ्र संवाद के जरिए ‘मतभेदों और विवादों’ का समाधान निकाल लेंगे। उन्होंने कहा की नरेंद्र मोदी जब भी पाकिस्तान का दौरा करने का फैसला करेंगे तब हम उनकी मेजबानी करने के लिए तैयार हैं। हमारे प्रधानमंत्री नवाज शरीफ उन्हें आमंत्रित भी कर चुके हैं।
भारतीय प्रेस क्लब के सदस्यों के साथ बातचीत के दौरान भारत में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने कहा की, दोनों देशों के लोगों ने शांति और समृद्धि के लिए लंबा इंतजार किया है तथा ऐसे में यह जरूरी है कि सभी ‘द्विपक्षीय मतभेदों और विवादों’ को हल करने की दिशा में कोई प्रयास बाकी नहीं छोड़ा जाए।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी नेतृत्व परिणामोन्मुखी संवाद प्रक्रिया को लेकर प्रतिबद्ध है तथा उम्मीद जताई कि आज नहीं तो कल समग्र द्विपक्षीय वार्ता बहाल हो जाएगी।
बासित ने कहा, ‘‘अब दो लोकतांत्रिक देशों को फैसला करना है कि हमें कड़वाहट को खत्म करना है अथवा टकराव को अनिश्चितकाल के लिए बरकरार रखना है। दोनों देश और उनकी जनता गलत दिशा में बढ़ने तथा इतिहास के गलत पक्ष में होने की कीमत वहन नहीं कर सकते।’’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की नई सरकार स्पष्ट तौर पर यह मानती है कि राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय क्षमता का दोहन करने के लिए शांति जरूरी है।
पाकिस्तानी उच्चायुक्त ने कहा, ‘‘हमारी विदेश नीति के नजरिये में यह हमारी सर्वोच्च
प्राथमिकता है। शांति हमारे परस्पर हित में है और शांति सिर्फ शांतिपूर्ण प्रक्रिया, बातचीत के जरिए हासिल की जा सकती है। अतीत में हमने देखा है कि पहले की शर्तें काम नही करतीं और न ही वे भविष्य में काम कर सकती हैं।’’
उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के जरिए दोनों देशों को मिले अवसर जाया चले गए और अब द्विपक्षीय संबंध में नया दौर शुरू करने का वक्त आ गया है।
बासित ने कहा, ‘‘पड़ोसी के तौर पर हमारे सामने एक दूसरे से बातचीत करने तथा परस्पर हितों के लिए रिश्तों को सामान्य बनाने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें कटुता और शत्रुता को छोड़ना होगा। हमें एक दूसरे से संपर्क करना होगा। हमें एक दूसरे से बातचीत करनी होगी तथा हमें एक दूसरे के साथ व्यापक रूप से, सार्थक रूप से और अपने परस्पर हितों में बातचीत करनी होगी।’’
बासित ने कहा कि पाकिस्तान और भारत को संवाद के लिए माहौल नहीं होने वाली स्थिति पैदा करने की बजाय शांति के लिए विचार करना है तथा इस्लामाबाद बातचीत करने तथा विकास के एजेंडे के लिए आगे बढ़ने का इच्छुक है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संवाद प्रक्रिया से बहुत कुछ हासिल किया गया है। बासित के मुताबिक यह जरूरी है कि अतीत के काम की बुनियाद पर इसका (संवाद) निर्माण हो और आगे की दिशा में अपरिवर्तनीय कदम बढ़ाना होगा।
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