नई दिल्ली। आज सिनेमाघर जाने वाले दर्शकों के लिए विकल्पों की कोई कमी नहीं रहने वाली है क्योंकि आज एक साथ चार-चार फिल्में बॉक्स ऑफिस पर दस्तक दे रही हैं। वैसे आज रिलीज तो रजनीकांत और दीपिका पादुकोण की कोचडयान भी होनी थी, लेकिन अब यह फिल्म 23 मई को रिलीज होगी। हम आपको इन चारों फिल्मों के बारे में बताते हैं, ताकि आपको यह तय करने में कोई दिक्कत ना हो कि आज कौन सी फिल्म देखनी है।
हवा हवाई
सपने जो सोने न दें, फिल्म की टैगलाइन है। इसके जरिए फिल्मकार अमोल गुप्ते ने बालमन और उनकी महत्वाकांक्षाओं को टटोलने की कोशिश की है। एक ऐसे शख्स की बेचैनी को पर्दे पर दिखाया है, जो अपने सपने को मूर्त रूप नहीं दे सका, मगर उस सपने को बाद की पीढ़ी में जीने की कोशिश कर रहा है। अर्जुन (पार्थो गुप्ते) अपनी मां और छोटी बहन के साथ बड़े शहर जाता है। वहां पहली बार इन-लाइन स्केटिंग के बारे उसे पता चलता है। लकी (साकिब सलीम) से स्केटिंग सीखने का सपना अर्जुन देखता है। उसका ये सपना सच करने की जवाबदेही उसके दोस्त लेते हैं। फिल्म के कलाकार हैं साकिब सलीम, पार्थो गुप्ते, प्रज्ञा यादव, नेहा जोशी, मकरंद देशपांडे, रज्जाक खान।
कोयलांचल
बाबर और एनिमी के बाद यह फिल्मकार आशु त्रिखा की तीसरी पेशकश है। औद्योगिक प्रगति के लिए कोयला महत्वपूर्ण ईंधन है तो कोयलांचल उन लोगों की विस्फोटक कहानी, जो उस कीमती ईंधन पर कब्जा जमाए हुए हैं और कोल माफिया कहलाते हैं। कोल माफिया, नौकरशाही और राजनेताओं के गठजोड़ की पृष्ठभूमि पर यह फिल्म आधारित है। विनोद खन्ना एक अर्से बाद दमदार कोल माफिया के किरदार में हैं। अन्य भूमिकाएं निभाई हैं सुनील शेट्टी, विपिन्नो, पूर्वा पराग ने। संगीत सुशांत, शंकर का है।
मंजूनाथ
मंजूनाथ षणमुगम के जीवन पर आधारित यह फिल्म तेल माफिया के आतंक को दिखाती है। 2005 में लखीमपुर खीरी में मिलावटी पेट्रोल बेचने वाले एक पेट्रोल पंप का लाइसेंस रद्द करने की बात कहने पर इंडियन ऑइल के सेल्स मैनेजर मंजूनाथ षणमुगम की हत्या कर दी गई थी। उसके बाद उसे न जानने वाले भी उसके लिए इंसाफ की लड़ाई में कूद पड़ते हैं। ऑन ड्यूटी एक 27 साल के युवक की हत्या क्या केवल अखबारों की हेडलाइंस तक ही सीमित रहती है? उसकी हत्या के बाद किस तरह का फाइटबैक होता है, फिल्म उसी संजीदा संघर्ष को बयां करती है। संदीप वर्मा निर्देशित इस फिल्म के मुख्य कलाकार हैं सतीश सारथी, दिव्या दत्ता, यशपाल शर्मा। इसमें संगीत दिया है सुबीर मलिक, नितिन मलिक, सोनम शेरपा (परिक्रमा बैंड) ने।
ये है बकरापुर
आठ साल के जुल्फी कुरैशी और उसके प्यारे बकरे शाहरुख के इर्द-गिर्द कहानी रची गई है। एक बकरे के पीछे जब एक इलाके में सब लोग एक दूसरे को बकरा यानी मूर्ख बनाने लगे तो उसको बकरापुर ही कहा जागा। फिल्म की मूलकथा राजस्थान की है। वहां एक बकरे को मसीहा मानकर पूजा की जा रही थी। इस तरह अंधविश्वास पर करारा प्रहार करती जानकी विश्वनाथन निर्देशित इस फिल्म के मुख्य कलाकार हैं अंशुमान झा व आसिफ बसरा।
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