लंदन। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने टेस्ट क्रिकेट छोड़ने के संकेत दिए हैं। लॉर््ड्स टेस्ट में 28 साल बाद जीत दर्ज करने वाली टीम के कप्तान धोनी ने ईशारा किया कि इंग्लैण्ड में यह उनकी अंतिम टेस्ट श्रंखला होगी, साथ कि कहाकि लॉर्ड्स में यह उनका अंतिम मैच था। गौरतलब है कि धोनी ने पहले कहा था कि वे अपने शारिरीक क्षमताओं के आधार पर अपने खेल जीवन का निर्णय लेंगे। धोनी ने अपने इस बयान से चयनकर्ताओं को उनके उत्तराधिकारी के चुनाव का संदेश भी दे दिया है। विराट कोहली धोनी की जगह लेने में सबसे आगे हैं।
लॉर्ड्स में जीत के बारे मे पूछे जाने पर धोनी ने कहा,"इसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। लॉर्ड्स में यह मेरा अंतिम टेस्ट मैच था। मुझे नहीं लगता कि अब मैं यहां कितने साल बाद फिर से आ पाउंगा। निसंदेह यह यादगार मैच था। इंग्लैण्ड में कई करीबी मैचों का गवाह रहा हूं। मुझे याद है कि 2007 में श्रीसंत और मैं बल्लेबाजी कर रहे थे और खराब रोशनी के कारण की मदद से हमने टेस्ट ड्रा कराया था। हमने वह टेस्ट बचाया और श्रंखला जीतने में सफल रहे। हर मैच स्पेशल होता है और भारत से बाहर टेस्ट मैच जीतना काफी सुकून देता है।"
धोनी की टेस्ट कप्तानी पर कई बार सवाल उठते रहे हैं। धोनी को वनडे और टी20 में बेहतरीन कप्तान माना जाता है लेकिन टेस्ट में भी उनसे यह ही उम्मीद रहती है। 2011 में इंग्लैण्ड और ऑस्टे्रलिया के हाथों सफाए के बाद धोनी के नेतृत्व क्षमता की कड़ी आलोचना हुई थी। लेकिन उसके बाद धोनी के नेतृत्व में टीम इंडिया ने फिर से सफलता की चढ़ाई शुरू की। टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैण्ड में श्रंखला जीतने के करीब थी।
इस बारे में धोनी ने कहा,"मुझे लगता है कि भारत से बाहर दो श्रंखलाओं में हम जीत के करीब थे लेकिन कुछ कारणों से यह हो नहीं पाया। मुझे लगता है कि गेंदबाजों ने दोनों मैचों में शानदार प्रदर्शन किया। जो बात महत्वपूर्ण थी वह है कड़ी मेहनत। इसी के चलते हम लॉर्ड्स में जीत पाए। इस टीम के प्रयासों और दृढ़ निश्चय को देखकर अच्छा लगता है।" धोनी 2008 में अनिल कुंबले के चोटिल होने पर भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान बने थे।
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