Saturday, 7 June 2014

अब एक एसएमएस से लग जाएगा पता, गाड़ी चोरी की है या नहीं


थोड़ी सावधानी बरतें तो आप चोरी का वाहन खरीदने से बच सकेंगे। ट्रैफिक पुलिस ने इंफार्मेशन टेक्नोलोजी की मदद से चोरी की गाड़ियों की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने का उपाय ढूंढ निकाला है। केवल एक एसएमएस भेज पता लगाया जा सकता है कि दोपहिया अथवा चार पहिया वाहन चोरी का है या नहीं? इस सेवा का नाम 'वेहिकल इंफार्मेशन सर्विस' रखा गया है। इसका लाभ सभी बिहारवासियों को मिलेगा।
ट्रैफिक एसपी राजीव मिश्र ने बताया कि पुलिस मुख्यालय के आइटी मैनेजर संजीत और कृष्णा ने ट्रैफिक के लिए एक वेब पोर्टल तैयार किया है। बिहार पुलिस की वेबसाइट से रहेगा जुड़ा
यह बिहार पुलिस के वेबसाइट से जुड़ा है। सभी जिलों के एसपी को एक यूनिक यूजर नेम और पासवर्ड दिया गया है। इस वेब पोर्टल में सभी जिलों से चोरी हुई गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नंबर, चेचिस नंबर, इंजन नंबर, किस मॉडल की गाड़ी किस थाना क्षेत्र से किस दिन चोरी हुई? एफआइआर नंबर आदि विवरण रहेगा। इसके अलावा वेब पोर्टल में उन गाड़ियों का भी पूरा ब्योरा है, जो चोरी होने के बाद मिल गईं।
डीसीबी से डाल रहे डाटा
वाहन चोरी की प्राथमिकी दर्ज करने के बाद थाना पुलिस उसे जिले के डीसीबी (डिस्टिक्ट क्राइम ब्यूरो) को पूरा ब्योरा सौंपती है। वहीं से डाटा लेकर एसपी वेबसाइट पर डाउनलोड किया जा रहा है। पटना जिले में गुरुवार तक चोरी हुए 182 वाहनों का डिटेल डाला जा चुका है। बाकी जिलों से एक हजार से अधिक वाहनों का डिटेल डाउनलोड हो गया है।
ट्रैफिक पुलिस को भी होगा फायदा
अक्सर देखा गया है कि चोरी की गाड़ियों का जाली कागजात बना ग्राहकों को बेच दिया जाता है। वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस भी कागजात को नहीं पकड़ पाती है। थोड़ा संदेह हुआ तो ड्राइविंग लाइसेंस से नाम-पता लिखकर छोड़ देते हैं। अब ट्रैफिक पुलिसकर्मी एसएमएस भेज शक दूर कर सकते हैं।
इन नंबर पर ऐसे करें एसएमएस
वाहन की अच्छी तरह जांच के लिए ट्रैफिक पुलिस ने दो नंबर 9223166166 और 51969 जारी किए हैं। जांच के लिए मोबाइल के मैसेज बाक्स में बीएच(स्पेस)वीआइएस(स्पेस)रजिस्ट्रेशन नंबर/इंजन नंबर/चेसिस नंबर (एक बार में रजिस्ट्रेशन नंबर, इंजन नंबर या चेचिस नंबर में से एक डालें) लिखने के बाद ऊपर दिए दोनों में से किसी नंबर पर एसएमएस भेज दें।
दो-तीन मिनट में आ जाएगा रिप्लाई
एसएमएस भेजने के दो-तीन मिनट बाद टीडी-बीएचआरजीओवी से रिप्लाइ आ जाएगा। अगर गाड़ी चोरी की हुई तो एसएमएस में 'स्टेटस : स्टोलेन। गाड़ी कब चोरी हुई? किस जिले के किस थाने से चोरी हुई? किस तारीख को चोरी की प्राथमिकी दर्ज कराई गई और प्राथमिकी नंबर' लिखा होगा। अगर बरामदगी होने पर 'स्टेटस : रिकवर्ड। गाड़ी कब चोरी हुई? किस जिले के किस थाने से चोरी हुई? कितनी तारीख को चोरी की प्राथमिकी दर्ज कराई गई और प्राथमिकी नंबर। किस दिन कहां से बरामद हुई?' लिखा होगा। रिप्लाइ एसएमएस में 'नो डाटा फाउंड' लिखा आया तो इसका मतलब है कि इस तरह की गाड़ी चोरी होने की प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है अथवा इस नंबर की गाड़ी के बारे में बिहार के किसी थाने को जानकारी नहीं है।
एनआइसी से जोड़ने की योजना
ट्रैफिक पुलिस इस सेवा को एनआइसी से जोड़ने का प्रयास कर रही है। इसके बाद वह राज्य के सभी जिला परिवहन कार्यालयों के संपर्क में आ जाएगी। तब एसएमएस भेजने से केवल चोरी के बाबत ही जानकारी नहीं मिलेगी, बल्कि यह भी पता लग जाएगा कि गाड़ी कभी दुर्घटनाग्रस्त हुई है या नहीं? अथवा उसका इस्तेमाल आपराधिक घटनाओं के लिए किया गया है या नहीं? इसके अलावा अपराध से जुड़ी सभी जानकारियां लोगों को उपलब्ध हो जाएंगी।
सेकेंड हैंड गाड़ियां खरीदने वालों को होगी आसानी
शहर में कुकुरमुत्ते की तरह सेकेंड हैंड वाहनों की खरीद-बिक्री करने वाली एजेंसियां चल रही हैं। अक्सर देखा गया है कि पांच-दस हजार रुपए कमीशन के कारण एजेंट गाड़ियों का सत्यापन कराए बिना ग्राहकों को बेच देते हैं। इसके बाद ग्राहक फजीहत में फंस जाते हैं। उनका पैसा तो डूबता ही है और चोरी की गाड़ी खरीदने के आरोप में जेल भी जाना पड़ता है। इस सेवा से उन्हें काफी लाभ होगा।

No comments:

Post a Comment

Thanks to give u valuable feedback